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लिव ईन रिलेशनशिप - क्या है? - live in relationship - सहजीवन ।

 

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लिव ईन रिलेशनशिप क्या है? Live in relationship सहजीवन

नमस्कार दोस्तों आज का मेरा इस पोस्ट में आप सभी को स्वागत है ।लिव ईन रिलेशनशिप यह शब्द ऐसा नहीं है कि किसी ने नहीं सुना हो। हम सभी ने यह शब्द सुना है, लेकिन सच बात यह है कि हम ने कभी भी इस विषय पर गहराई से नहीं सोचा है, तो आईए जानते हैं लिव ईन रिलेशनशिप क्या है? Live in relationship सहजीवन ।


मूख्य बातें 👇

👉Live in relationship सहजीवन क्या है?

👉सहजीवन - लिव ईन रिलेशनशिप प्रथा कैसे शुरू हुआ? How did the practice of live-in relationship start?

👉लिव ईन रिलेशनशिप live in relationship- सहजीवन का चलन क्यों बढ़ रहा है? 

Why is the trend of live in relationship increasing?

👉लिव ईन रिलेशनशिप - सहजीवन - live in relationship बाध्यता या आधुनिकता? 

live in relationship compulsion or modernity?

👉लिव ईन रिलेशनशिप के फायदे क्या होते हैं? 

What are the benefits of live in relationship?

👉लिव ईन रिलेशनशिप के क्या नुकसान हो सकते हैं 

What are the disadvantages of live in relationship

👉निष्कर्ष 


Live in relationship सहजीवन क्या है? 


     वैसे अगर हम हमारे भारतीय परंपरा के दायरे में रहकर बात करें तो किसी परिस्थितिवश दो या दो से बढ़कर ब्यक्ती साथ रहकर जीवन व्यतीत करने को ही सहजीवन कह सकते हैं। 


लिव ईन रिलेशनशिप में रहने वालों को भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा - जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 


हालांकि हम यहाँ महिला और पुरुष के सहजीवन के बारे में बात करने जा रहे हैं। क्योंकि भारतीय परंपरा में एक महिला और एक पुरुष बिना शादी करे एक साथ जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं। यह हमारे परंपरा के खीलाफ है। 


शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने के नुकसान >पढें >

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   लेकिन बढ़ते जनसंख्या, बदलते जीवनशैली और शहरी जीवनशैली में मजबूरन परंपराएं भी तेजी से बदल रहे हैं। वैसे तो live in relationship परंपरा को पश्चिमी परंपरा कहा जाता है। पर ऐसा नहीं है, चूंकि पश्चिमी देशों ने जल्दी विकास प्रगति की, वहाँ जल्दी शहरीकरण हो गया। इसलिए वहाँ का जीवनशैली भी परिवर्तन हो गया। 


   मतलब यह है कि लिव ईन रिलेशनशिप पश्चिमी संस्कृति न हो कर यह परंपरा पश्चिमी देशों से शुरु हुआ। क्योंकि वहाँ तेजी से शहरीकरण हुआ, लोग शीक्षीत हूए, महिलाएं भी काम पर जाने लगे। इन सब विविध वजहों से वहाँ live in relationship का चलन अस्तित्व में आया। 


लिव ईन रिलेशनशिप - विकिपीडिया 


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  अब बात करते हैं की लिव ईन रिलेशनशिप क्या है? Live in relationship सहजीवन । यह, जीन्दगी को बन्धन मुक्त बनाकर, समान तरीके से एक महिला और एक पुरुष बिना शादी करे एक साथ पति-पत्नी की तरह जीवन बसर करना ही लिभ ईन रिलेशनशिप कहा जाता हैं। 


सहजीवन - लिव ईन रिलेशनशिप प्रथा कैसे शुरू हुआ? How did the practice of live-in relationship start?


   जैसे कि मैं नहीं कहा लिव इन रिलेशनशिप का प्रथा पश्चिमी देशों का प्रथा नहीं है, बल्कि सहजीवन बिताने का प्रथा पश्चिमी देशों यानी विकसित देशों में शुरू हुआ था। 


  जैसा ही पश्चिमी देशों में तीव्र गति से साक्षरता बढ़ा, औद्योगिकरण बढ़ा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विकास हुई और तेजी से शहरीकरण भी बढने लगा। उसी तरह  पश्चिमी देशों में लोगों की जीवनशैली भी बदलने लगी। लोग जागरूक होने लगे, हर एक महिला और पुरुष कामकाजी होने लगे। 

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  इस तरह शहरी और व्यस्त जीवन में लोग बंधन मुक्त होने लगे। लोगों का विचार भी  बदलने लगा, उनके सोच में भी बदलाव आने लगा। खास बात यह की वहाँ लिंगीय भेदभाव भी कम हो गया और लोगों में स्वतंत्रता आ गई। 


 इन कई वजहों से लोगों में लिव ईन रिलेशनशिप live in relationship का चलन बढ़ने लगा। क्योंकि सहजीवन के लिए कोई शादी की बंधन नहीं होती है। कोई पारिवारिक नीयम कायदे नहीं होते हैं। इसीलिए भी सहजीवन का चलन बढने लगा। 


       लिव ईन रिलेशनशिप यानी सहजीवन आज भारत में भी व्याप्त हो चुका है। क्योंकि अब भारत में भी एक बहुत बडा हिस्सा, बहुत बड़ा समाज शहरी इलाकों में व्यस्त जीवन व्यतीत कर रहा है। उनकी जीवनशैली वह पारंपरिक नहीं रहा बल्कि आधुनिक बन गया है। लंबा पढाई, नौकरी, बिजनेस के चक्कर में लोग शादी नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए भारत में भी live in relationship का चलन चल रहा है। 


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 लिव ईन रिलेशनशिप live in relationship- सहजीवन का चलन क्यों बढ़ रहा है? 

Why is the trend of live in relationship increasing?


  जैसे कि मैंने कहा लिव ईन रिलेशनशिप यानी सहजीवन - एक महिला और एक पुरुष बिना शादी करे पति-पत्नी की तरह जीवन व्यतीत करते हैं। यह शादी का बंधन से मुक्त रहते हैं। अक्सर live in relationship में रहने वाले संयुक्त परिवार में नहीं रहते हैं बल्कि अलग से रहते हैं। 


  जैसा की हैदराबाद में नौकरी करने हेतु दिल्ली से एक युवक आता है, और मुंबई से एक युवती आती हैं। किसी तरह इन दोनों का जान पहचान होता है। यह जान पहचान दोस्ती में परिणीत होता है, यह दोस्ती की गहराई बढती है। 


   यह एक तरह का प्यार भी होता है। क्योंकि असल में गहरी दोस्ती ही प्यार होता है। ईसी आधार पर एक युवा और युवती बिना शादी करे साथ रहने का नीर्णय कर लेते हैं - यही live in relationship होता है। 


   लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह लिव ईन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग दिमागी तौर पर मजबूत होते हैं। यह लोग भावनाओं में नहीं बहते हैं। मतलब live in relationship में रहने वाले जोड़े मानवीय जीवन और संभावित कठीनाईयों से वाकिफ रहते हैं। इन्हें रिती परंपराओं से और पुराने मूल्य मान्यताओं से मतलब नहीं होता है। यह सहजीवन जीने वाले आधुनिक होते हैं। 


 लिव ईन रिलेशनशिप - सहजीवन - live in relationship बाध्यता या आधुनिकता? 

live in relationship compulsion or modernity?


  अगर सच कहा जाए तो खुशहाल जीन्दगी वह होता है जहाँ हम खुश रहते हैं। एक जमाना था जब अधिकांश देश गांव में बसता था। गांव का रिती संस्कार अलग सा होता था। क्योंकि जब लोग इतना पढें लीखे नहीं थे, सभी को नीयम कायदे में रहना पड़ता था। इसलिए भी उस समय लिव ईन रिलेशनशिप का प्रचलन नहीं था। 

 

  वाकई में उस समय परंपरा तोड़ने पर समाज में बूरा असर पड़ता था। इसलिए भी पुराने निती नियम संस्कारों को सही माना जा सकता हैं। इन्ही अच्छे संस्कारों ने हमारे समाज और देश को एक शुत्र में बंधे रखा और धीरे धीरे समाज का विकास भी हुआ। 


  लेकिन आज देश बदल गया है, आज का भारत शहर में रहता है। गांव में भी शहर पहुंच गया है, पिढी दर पीढ़ी बदल रहे हैं। सुचना संचार और प्रौद्योगिकी गांव कस्बे में भी जा पहुंचा है। 


  अब शहरों का आकार बढ चुका है, आज हर कोई पढा लीखा है, कम पढें लोग भी smart हैं और उन्हें भी आधुनिकता पसंद आया है। पढे लीखे लोग गांव से शहर पहुंच रहे हैं। और Career बनाने के लिए लोग एक शहर से दूसरे शहर जा पहुंच रहे हैं। 


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     ईसी वजह हैं की लोगों को दूसरे शहर और दूसरे लोग भा रहे हैं। असल में किसी को भी घर बस्ती छोड़ने के बाद अकेले रहना पड़ता है। अगर किसी को किसी बात का दुख होता है तो वह अकेलापन ही है। ईसी अकेलेपन को दूर करने के लिए भी लोग सहजीवन अर्थात लिव ईन रिलेशनशिप की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। 


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   Live in relationship वास्तव में सिर्फ आधुनिकता न हो कर मज़बूरी भी होता है। सीधी सी बात है की अक्सर अपने ही शहर में लोग बिना शादी किए रिलेशनशिप में नहीं रहा करते हैं। अगर कोई स्थानीय लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहते  हैं तो उनकी कुछ पारिवारिक समस्याएं अवश्य होती है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए और दूर रहने के लिए ही लोग रिलेशनशिप में रहने को मजबूर हो जाते हैं। 


   यह भी उनकी व्यक्तिगत आजादी का मामला होता है। क्यों की कोई भी वयस्क व्यक्ति को अपना व्यक्तिगत अधिकार से वंचित किया नहीं जा सकता है। और भारत सरकार ने भी लिव ईन रिलेशनशिप में रहने के लिए कानुनी मान्यता दे रखा है। 


  शुरू शुरू में भारत में भी लिव इन रिलेशनशिप का व्यापक विरोध हुआ था। कई विद्वानों ने सामाजिक अभियंताओं ने इस विषय पर गहरी बहस छेड़ रखी थी। इस विषय पर व्यापक बहस भी हुआ था। चूंकि यह एक व्यक्तिगत आजादी का मामला था इसलिए भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता प्रदान किया है।


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  जब भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने सहजीवन यानी लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दिया, उसके बाद यह चलन और बढ़ने लगा है। आज के समय में भी कई लोग लिव इन रिलेशनशिप में खुशी खुशी में जी रहे हैं। 


  वास्तव में लिव इन रिलेशनशिप एक शौक ना होकर मजबूरी है भी है। क्योंकि अकेलापन ऐसी घातक बीमारी है जिसकी वजह से व्यक्ति डिप्रेशन में भी जा सकता है। इससे अच्छा तो यह है कि दिल दिमाग और भावनाएं मिलने पर लोग बिना शादी किए भी एक साथ आराम से रह सकते हैं। खुशी खुशी अपना दुख दर्द और खुशीयां भी बांट सकते है और हमसफ़र बन सकते है। 


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लिव ईन रिलेशनशिप के फायदे क्या होते हैं? 

What are the benefits of live in relationship? 


लिव ईन रिलेशनशिप क्या है? सहजीवन - live in relationship के बारे में मैंने बिस्तार से बताया हूं। उम्मीद करता हूं की आप सभी ने अच्छी तरह समझ गय होंगे। अगर इसके फायदे के बारे में बता करें तो हरेक चीज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं। आइए सहजीवन के कुछ फायदे बता देता हूं :- 


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  • अकेलापन दूर होता है। 

  • एक अच्छा हमदर्द और हमसफ़र मिलता है। 

  • आप अपने घर से दूर शहर में अकेले रहने से अच्छा हमदर्द के साथ रहने से दूर बैठे घरवाले चिन्तामुक्त रहते हैं। 

  • आप अपना दुख पीड़ा बांट सकते हैं। 

  • विवाह बंधन से मुक्त रहते हैं।

  • वक्त से पहले या जबरजस्ती बच्चा पैदा करने का झंझट से मुक्त रहते हैं। 

  • पति-पत्नी की तरह इच्छा न होने पर भी शारीरिक संबंध का दबाव से मुक्त रहते हैं। 

  • अपना भविष्य का, अपना मर्जी से आर्थिक योजना बनाने का स्वतंत्रता मिलता है। 

  • प्रमुख फायदा यह होता है की अगर अपने पार्टनर से कुछ गंभीर समस्या आता है और समाधान न मिले तो आराम से अलग भी हो सकते, कुछ कानूनी झंझट का सामना नहीं करना पड़ता है। 


लिव ईन रिलेशनशिप के क्या नुकसान हो सकते हैं 

What are the disadvantages of live in relationship



    जैसे कि मैंने बताया, हरेक चीज के दो पहलू होते हैं। लिव ईन रिलेशनशिप का फायदा तो मैंन बताया लेकिन सहजीवन यानी live in relationship का नुकसान भी है। 


  अगर जीन्दगी में कुछ भी चिजों का सहि तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो कुछ गलत नहीं है। लेकिन हम चिजों को सहि उपयोग नहीं कर पाए या गलत इस्तेमाल किया तो कुछ भी गलत हो सकता है। 


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  बिल्कुल दोस्तों, live in relationship का भी सहि तरह से नहीं नीभा पाए तो मामला बहुत बिगड़ सकता है और जीन्दगी तनाव भरा हो सकता है। तो चलें यह भी बताते हैं कि लिव ईन रिलेशनशिप के नुकसान क्या क्या होता है। 

  • अगर एक दुसरे को ठीक से जाने बगैर समझे बगैर सहजीवन में रहने का निर्णय लेते हैं तो live in relationship का सब से पहला नुकसान यानी समस्याओं का निमंत्रण यही होता है। 

  • एक दुसरे को जाने समझे बिना लिव ईन रिलेशनशिप में रहने पर अविश्वास बना रहता है। अविश्वास हि रिश्ते तोड़ने का प्रमुख कारण होता है। क्योंकि रिलेशन में रहते हि शारीरिक संबंध भी शुरु हो जाता है। 

  • भले हि आप समझदार हो, जागरुक हो और सशक्त भी हो लेकिन लिव ईन रिलेशनशिप में रहने वाले परिजन और रिश्तेदारों को महिला के फिक्र सताय रहता है। ऐसा होना भी नुकसान इसलिए कहा जा सकता है की " जीवन में आप तो खुश है लेकिन आप की फिक्र में आप के अपने डरे से सहमे से और चिंताओं के साथ जीते है" तो यह भी नुकसान हि हैं। 

  • Live in relationship में रहने वाले जोड़े हमेशा यह असमंजस में रहते हैं कि बच्चा पैदा करें या नहीं 🤔क्योंकि सहजीवन कोई शादी नहीं होती है। जब इनके हि कोई भविष्य नहीं होता तो होने वाले बच्चे का भविष्य कैसा हो सकता हैं! क्योंकि बिना बच्चे का जीन्दगी जाना भी प्रकृति का नियम के खिलाफ हैं। 

  • वैसे तो भारत में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले और उनके होने वाले बच्चों के लिए कानून बना है। भारतीय कानून ने उन होने वाले बच्चों के लिए सकारात्मक कानून बनाया है। लेकिन कानून के वजह से बना रिश्ता और भावनाओं से बने रिश्ते में बहुत फर्क होता है। मतलब यह की बच्चों को माता पिता दोनों का जरुरत होता है, अर्थात मां बाप को साथ होना मांगते हैं।

  • लिव ईन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों का अगर किसी वजह से रिश्ता टुटा और अलग हो गयें तो उन्हे गहरा सदमा लग सकता है और वह डीप्रेसन का शिकार हो सकते हैं। क्योंकि सहजीवन एक प्यार मोहब्बत का सफर होता है और वह एक दुसरे के हमसफ़र होते हैं। 

  • Live in relationship में रहने वालों को समाज के एक तबके ने अलग नजर से देखता है। वह लोग मौका मिलने पर बदसलूकी करने में कोई अचरज नहीं करते और कई बार अपमानित होना पड़ता है। क्योंकि हम जो कोई भी ईन्सान है, वैसे तो हम यह कहते हैं कि समाज क्या कहेगा - परवाह मत करो। लेकिन बदसलूकी होने पर सभी को मानसिक आघात पहुंचता है। 

  • सहजीवन में रहने के दौरान अगर सहमति से भी बच्चों को जन्माया और बाद में रिश्ता टुटा तो बच्चों के लिए कोर्ट कचहरी, कहासुनी होने पर दोनों पर मानसिक असर तो होता हि है - बच्चों पर भी गहरा मानसिक असर पहुंचता है। 


निष्कर्ष :- धन्यवाद दोस्तों यहां तक पढ़ने के लिए। लिव ईन रिलेशनशिप क्या है, इसके फायदे और नुकसान तो मैंने बताया। लेकिन फिर मैं अपनी तरफ यह बताना चाहुंगा कि जीवन को बेहतरीन बनाने के लिए पारंपरिक शादी करें। शादी का बंधन वह बंधन है, जीसने न सिर्फ एक महिला और पुरुष को एक बनाय रखता है बल्कि समाज देश और मानव जगत का अस्तित्व भी बचाय रखता है। 


धन्यावाद 🌹

लेखक के बारे में - प्यूठानी भगत 

हैदराबाद से 

ईमेल - Bhagatbhingri@gmail.com 





लिव ईन रिलेशनशिप - क्या है? - live in relationship - सहजीवन । Reviewed by The Hindi Guru on अक्तूबर 12, 2022 Rating: 5

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