Viral fever का लक्षण - in Hindi
Virul Fever का लक्षण - in Hindi
वायरल बुखार यानी की viral Fever क्या है? जीसके वजह से हम गंभीर बिमार पड़ते है। आइए जानते है वायरल बुखार के बारे में, क्योंकि यह जानना भी जरुरी है।
"सब से पहले बात करें स्वास्थ्य की तो दोस्तों हमारे जीन्दगी में अगर कोई बडा धन है तो वह है स्वास्थ्य यानी Health, जब स्वास्थ्य ठीक रहेगा तब हि हम तन्दुरुस्त रहेंगे, काम करेंगे, हंसेंगे, बोलेंगे। यदि हम थोडा भी बिमार पड गये तो हम में वह ताकत नहीं रहेगी। ठीक से काम भी नहीं कर पाएंगे और खाने पिने भी नहीं कर पाएंगे। और तो और हम अपने दोस्तों से और परिवार वाले से भी ठीक से बात नहीं कर पाएंगे। क्योंकी बिमार होने पर हम में चिड़चिड़ापन आ जाएगा, छोटी सी बात पर भी गुस्सा और नाराजगी। इन कई वजह से हमारे जीना दूभर हो जाएगा। इसलिए स्वास्थ्य का खास ख्याल करें, कोभीड कोरोना भी अभी शान्त नहीं हुआ है। सब, सतर्क रहें स्वस्थ रहें और मस्त रहें "
क्या है वायरल बुखार?
Viral Fever वारीस के महिनों में होने वाली आम बिमारी है जो अगस्त सेक्टेम्बर और अक्टोवर महिने में ज्यादातर असर करता है। यह एक वायू जनीत संक्रमण है जो अधिक नमी और उष्ण के वजह से दूषित वातावरण में क्रीयासील होने वाले बैक्टीरिया और वायरस ईन्सान के नाक के रास्ते से गले में पहुंचते है और उपरी श्वास-प्रश्वास प्रणाली को असर करते हैं।
क्योंकि बारीश के दिनों में भी धरती का तापमान अधिक होता है, इसलिए यह मौसम इन्सानी स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से सहि नहीं होता है। वातावरण की गर्मी और लगातार होने वाली बारीश की वजह से जमीन और हवाओं में बैक्टीरिया और वायरस बहुत ज्यादा पनपते है और फैलते हैं।
उसके बाद यह बैक्टीरिया और वायरस हमारे नाक और मुंह के रास्ते से शरीर के भीतरी हिस्से में पहुंचकर संक्रमण शुरु करते है। वैसे तो इन्सान के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता होता है। इसी वजह से इन्सान में हर वक्त होने वाले वायरस और बैक्टीरिया के हमले नाकाम होते है और हरेक इन्सान हर वक्त बिमार नहीं होता है।
लेकिन जीस भी ब्यक्ती के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होता है वह बार बार बिमार पड़ता है। इसलिए हम सभी को अपना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाना चाहिए। अच्छा ताजा खाना, सहि ढंग से सहि समय पर खाना और शारीरिक व्यायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
जब कोई भी बैक्टीरिया या वायरस हमारे शरीर के अन्दर पहुंचकर संक्रमण शुरु करता है तब हमारी शरीर के कुदरती शक्ती सचेत हो जाता है, यानी की वह बैक्टीरिया या वायरस ले लड़ना शुरु कर देता है। इसके लिए हमारे शरीर ने उस वायरस या बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए हमारे शरीर में गर्मी पैदा करता है, इसी को हम बुखार कहते हैं।
जरूरी बात यह बता दें कि बुखार कोई बिमारी न हो कर एक शारीरिक प्रकृया है जो शरीर को बाहरी जीवों से बचाने के लिए या उसे नष्ट करने के लिए अपनी आप पैदा होने वाली गर्मी है। इसी गर्मी यानी बुखार की वजह से हमें बिमार होने का पता चलता है और पिंडाबोध भी होता है।
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👉वायरल बुखार को कैसे पहचानें?
- ठंड का एहसास होना
-गले मे दर्द होना
- जुकाम लगना और नाक बहना
-आखों में जलन होना
- पसीने आना
- प्यास बढना
-सर मे दर्द आना
- बदन और मांसपेशियों में दर्द होना
- कमजोरी महसूस करना और भूख कम होना
👉 वायरल बुखार कैसे फैलता है?
- साँस से।
यदि कोई ब्यक्ती वायरल बुखार से संक्रमित है और वह ब्यक्ती खाँसता है या छींकता है तो उसके मूहं या नाक से नीकलने वाले छींटे वायुमंडल में फैलता है। वही छिंटे या तरल द्रव कण आप के नाक या मूहं से प्रवेश करता है।
- अंतरग्रहण से।
यदी वायरल बुखार फैल रहा है और पूरे वातावरण में वायरस और बैक्टीरिया फैले हैं तो जाहिर सी बात है की वह जीव खाने पिने वाले चिजों में भी रहेंगे। वही दुषित चिजें खाने या पिने से भी भी संक्रमण आता है।
- किंडे और मकौडे के काटने या छुने से।
यदि वायरल संक्रमण फैल रहा है तो जैसे की मच्छर मक्खी और अन्य किंडे भी संक्रमण फैलाते है। जैसे की कोई ब्यक्ती वायरल बुखार का चपेट में है, अगर उस ब्यक्ती को मच्छर काट्ता है और वही मच्छर दुसरों को भी काट्ता है तो संक्रमण फैलता है।
- बेड बिस्तर से।
जैसे की कोई वायरल बुखार से पीड़ित मरीज का इस्तेमाल किया हुआ बिस्तर या कम्मल को और किसी ने इस्तेमाल करने पर भी वायरल बुखार फैलता है।
-साथ में सोने से।
यदि हम वायरल बुखार से पीड़ित ब्यक्ती के साथ एक हि बिस्तर पर सोते है, चाहे वह परीवार का सदस्य हों, तब भी वायरल बुखार दुसरे पर भी पहूंच जाता है।
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👉वायरल बुखार होने पर यह विधि अपनाएं
इन्सानी शरीर को 37° सेन्टिग्रेट या 98° फरेनाईट की तापक्रम को सामान्य माना जाता है। और, यदि आप के बदन की तापक्रम अचानक से बढ्ने लगा तो जाहिर सी बात है की आप के शरीर पर बाहरी जीव ( virus or Bacteria) प्रवेश कर गए हैं और आप की शरीर उन तत्वों से लड रहा है।
जानकारों का मानें तो हल्का बुखार शुरु होते ही दबाई या अस्पताल न जाएं। हो सकता है की आप का शरीर में रोगप्रतिकारक क्षमता तगड़ा है और बिमारी को जीत जाएं। इसलिए धैर्य रखें और खानपान में खास ध्यान दें।
-गर्म दुध में हल्दी पाउडर मीलाकर पी लें
- गर्म दुध में हल्का मरीज पाउडर डालकर पी लें
- गर्म चाय में तुलसी पत्ते डार कर पी लें
-फल ज्यादा खा लें
- मसम्बी का रस भरपूर लें। यदि मसम्बी का जुस पी रहे हैं तो मसम्बी का रस में गर्म पानी मीलाकर पी लें
- पपीते खूब खाएं, क्योंकि पपीते में भरपूर एन्टिबायोटिक पाया जाता है
- कीवीं फल खूब खाएं
- गर्म पानी में नींबू नीचोडकर पी लें
- गुनगुना पानी में नमक मीलाकर बार बार कुल्ला करें
यदी वायरल बुखार है तो यह चिजों से परहेज करें
-ठंडा पेए पदार्थ, जैसे कुल ड्रींक्स
- शराब
-आइसक्रीम
-दहि और छाँछ
- तेल में तला हुआ खाना
- मांसाहारी खाना और अंडा
-बाहर का खाना
यह सब करने के बाद भी अगर स्वास्थ्य में सुधार नहीं आता है या बुखार बढ जाता है तो आप हर हाल में अस्पताल जाएं और डाक्टर को अपनी समस्या के बारे में बताएं। गल्ती से भी आप स्वयं डॉक्टर न बनें, यानी की अपनी तजुर्बे या इन्टरनेट से जानकारी जुटाकर भी खूद की तरफ से दबाई न लें। यह करना आप का स्वास्थ्य के लिए हानीकारक हो सकता है।
जान है तो जहाँन है। इसलिए health के मामले में मेडीकल एक्सपर्ट से हि सहायता लें और डाक्टर के कहे मूताबिक दबाई और खानपान करें।
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अस्विकरण :- यह लेख गहरी रीसर्च और चिकित्सा विज्ञ द्वारा सलाह मशविरा के बाद लेखा गया है, इसलिए अगर कीसी को भी इस तरह का स्वास्थ्य समस्या आता है और समस्या और बढ़ती है तो चिकित्सक से जरुर परामर्श करें।

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